ओ कॉरपोरेट सत्ता धारियों
तुम इन त्यौहारों को कैसे मना सकते हो?????
लाभ और मानव श्रम विभाजित करने वालों........
देखो,
तुम्हारे मजदूर या गांव के किसान
भाग रहे हैं अपनी धरती को मिलने
ट्रेनों बसों में भर भर कर
शहरों से गांव की तरफ....
उस धरती से मिलने
जो यूरिया से दब गई
सल्फास से मिट गई
फैक्ट्रियों के नालों से सिंच कर
चिमनियों की उगलती राखों से सांस लेकर
केचुओं, गौरैया, बैलों की लाशों वाली हरित क्रांति में
मानव जाति को अल्पायु कर....
लेकिन तुम चिंता मत करो
ये वापस आयेंगे तुम्हारी अर्थवादी दुनियां में ।।।।।।।
फसलों के उल्लास वाले पर्वों को मनाते मनाते
ये गरीब किसान
अब रईस मजदूर हो चुके हैं।।।।
हरि ॐ
राम यादव
11.11.23
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