सदियों से आदमी मारता रहा आदमी को......
इंसानियत और दुनियां महफूज़ रखने के लिए।।।
धर्म, जाति, प्रांत, सत्ता, समाज के ढोंग को रचाने के लिए।।।।।।।।
या फिर खुद को श्रेष्ठ बता मानसिक कुंठा छिपाने के लिए
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खुद को सही साबित करने के लिए,,,,,,
इंसान सारे कुकर्म, सुकर्म में सिद्ध कर देता है
।।।।।।
वो इजराइल-फिलीस्तीन हो,
यूक्रेन-रूस या कश्मीर-पाकिस्तान हो
लाशों में बदलती इंसानियत को
झूठे मन बहलाते
जन्नत के किस्सों में लिख देता है।।
वो नस्लों में बचपन से ही जहर भर देता है।।।।।।।
ले चल बिखरे विश्व को अगली पीढ़ी में
हजारों सालों से जीवित
सनातन भारत
सदैव नूतन भारत
😌हरि ॐ😌
वन क्रांति जन क्रांति