मैं नहीं गिन पाया कि कितने पेड़ लगाए होंगे मैंने,,,
लेकिन मुझे याद है की 3 में पढ़ते हुए
जो नीम का पेड़ घर के बीचोंबीच लगाया था.....
उसे अब तक कटने नहीं दिया ।।।।।।।।।
देखता हूं कि उसकी जड़ें मेरे कमरों की नींव तक जम गईं हैं.....
लेकिन उसकी झूमती शाखें, हरे पत्तों की खुशबू
और सोंधीं हवा...
एक अलग नशा, मोहब्बत का जगा देता है ।।।।।।
ऐसे हजारों घर कुर्बान उस मोहब्बत के नाम !!!!!!!!
जानता हूं कि मैं और घर नहीं खरीद पाऊंगा.....
लेकिन एक अनदेखे भविष्य के लिए,,,
उस छोटे से घर में नीम, आम, अमरूद,
जामुन, अशोक के पेड़ लगाए जा रहा हूं।।।।।।।।।।
शायद एक परिवार ये भी रहेगा मेरा..
जो मेरे बाद मुझे याद करेगा।।
😌❤️हरि ॐ❤️😌
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